वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

 हज़रत सय्यद शमस उद्दीन आरिफ़

 

रहमतुह अल्लाह अलैहि

 

मोलफ़ किताब आईना तसव्वुफ़ के मुताबिक़ हज़रत सय्यद शमस उद्दीन आरिफ़ रहमतुह अल्लाह अलैहि की विलादत बासआदत १६ जमादी एलिसानी ८२४ हिज्री बरोज़ चार शंबा बवक़्त दोपहर पिशावर में हुई।

हज़रत सय्यद शमस उद्दीन आरिफ़ रहमतुह अल्लाह अलैहि ने १७ रजब एल्मर जब ८४९ हिज्री को बरोज़ चार शंबा मग़रिब के वक़्त हज़रत सय्यद शाह गदा रहमान बिन अबी उल-हसन रहमतुह अल्लाह अलैहि से कोह जम्मू में ख़िलाफ़त हासिल की।

हज़रत सय्यद शमस उद्दीन आरिफ़ रहमतुह अल्लाह अलैहि ६ सिफ़र अलमज़फ़र ९९४हिज्री को इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का मज़ार अक़्दस तबर स्तान में है।

नोट:। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के हालात-ए-ज़िंदगी बावजूद कोशिश के कहीं से नहीं मिल सके।क़दीम कुतुब में जो कुछ मिला मैंने लिख दिया। अगर किसी साहिब के पास हूँ तो "राबिता करें" को क्लिक करके हमारे साथ राबिता क़ायम करें और इस कार-ए-ख़ैर में हिस्सादार बने। या नीचे दिए गए ई मेल ऐडरैस पर राबिता करें।

इसरार-उल-हक़

Israr Ul Haq

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